दीदड बुगडा भी एक मांसाहारी कीट है। देखने में काफी छोटा लेकिन काम में उतना ही खोटा। जिला जींद के रूपगढ,राजपुरा व निडाना गाँवों के फसली व कांग्रेस घास समेत गैरफसली पौधों पर पाया गया है। इसके शरीर की लम्बाई तो मुश्किल से इंच का पांचवा या छठा हिस्सा ही होती है मगर इसकी ऑंखें काफी मोटी होती हैं। इसीलिए तो अंग्रेज इसे बिग आइड बग कहते हैं। वैज्ञानिक इसे जियोकोरिस कहते हैं। इसे व इसके बच्चों को जीवनयापन व वंशवृद्दि के लिए दुसरे कीटों के जीवनरस की जरूरत होती है। इनके भोजन में तरुण सुंडियां,विभिन्न सुंडियों के अंडे,चेपे,चुरडे,तेले,मक्खियाँ,शरीर में बराबर साइज के बीटल व बुगडे तथा मिलीबग शामिल होते हैं। पंखविहीन चेपे व मिलीबग की मादा इनके आसानी से शिकार होते हैं। कांग्रेस घास व अन्य गैरफसली पौधों पर मिलीबग का पाया जाना इनके लिए स्वर्ग जैसी स्थिति होती है। एक तो कीटनाशकों की मार से बच जाते हैं ऊपर से खाने को मिलीबग के रूप में भरपूर मात्रा में भोजन मिलता है। दिद्ड बुगडा की पहचान,हिफाजत व वंशवृद्दि किसान के हित में है तथा कीटनाशक कम्पनियों व डीलरों के खिलाफ है। इब मर्जी आपकी!
दीद्ड बुगडा एक अन्य मांसाहारी बीटल का खून चूसते हुए।