हरित क्रांति व हरियाणा का जन्म लगभग साथ साथ हुआ । मुख्यत उन्नत बीजों ,रसायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों के इस्तेमाल पर आधारित इस हरित क्रांति ने सिंचाई सुविधाओं की मदद से फसल उत्पादन में उल्लेखनीय व प्रशंसनीय वृध्दि दर्ज की है। निसंदेह कृषि क्षेत्र में इस तरक्की ने यहाँ के आर्थिक ,औद्योगिक,शिक्षा,स्वास्थ ,यातायात,तकनीक ,संचार,व्यापार आदि क्षेत्रों के विकास में ऐसी बहुआयामी एवं प्रभावशाली भूमिका निभाई कि हरियाणा की गिनती आज विकास की दृष्टि से भारत के ऊपरले राज्यों में होने लगी है। लेकिन यह विकास हरियाणवी जनमानस की तरह सरल व सीधे स्वभाव का नही था। यह अपने साथ अमेरिकन सुंडी व मिलीबग जैसे हानिकारक कीट तथा कांग्रेस घास, मंडुसी व लैंटाना जैसे घातक खरपतवार भी साथ ले कर आया। कपास कीट नियन्त्रण के मैदान में अकेली अमेरिकन सुंडी ने ही सन् 2001 में हमारे इस विकास की ऐसी कड़ लगाई की कि The Tribune को अपने 24 नवम्बर के सम्पादकीय में इस कुश्ती को साझली हार व साझली शर्म के रूप में लिखना पड़ा था। अब इसी मैदान में मिलीबग नाम का कीट अपना लंगोट घुमा रहा है !?!
No comments:
Post a Comment